जब मैं छोटा था, अच्छा ठीक है, काफी छोटा था, और मेरी माँ मुझे बोलती थी की तुम्हे बड़ा आदमी बनना है तो मुझे बस एक ही चीज़ परेशान करती थी, अगर मैं बहुद बड़ा हो जाऊंगा तो घर मैं कैसे घुसूंगा. दरवाज़ा तो ज्यादा बड़ा होता नहीं था ना. फिर जब मैं थोडा और बड़ा हो गया तो मैं ट्रक ड्राईवर बनना चाहता था. IAS नहीं, डॉक्टर नहीं, इंजिनियर नहीं, ट्रक ड्राईवर. पर मेरे माँ और पिताजी के कुछ और ही सपने थे. फिर जब मैं और बड़ा हुआ तो मेरेको बास्केटबाल खेलना काफी पसंद था. बहुत पसंद था. माँ बाप को रसायन विज्ञानं पसंद था. मैं सपने लेता था कोर्ट मैं उड़ने के और मेरे माँ बाप सपने लेते थे नौकरी के. आखिर उनके सपने सच हो गए. पर मुझे हमेशा लगता है की मेरे भी हो सकते थे.
UP ऐसे ही कुछ सपनों की है. एक इंसान की जिसके पास सपने थे, और ऐसा भी कोई साथ जो उसके जैसे सपने देखती थी. और एक ज़िन्दगी जो उनके जैसे सपने नहीं देखती थी. और जैसा की हमेशा होता है ज़िन्दगी के सपने हमेशा सच होते हैं. उसकी ज़िन्दगी बीत गयी. सपने नहीं सच हुऐ. फिर एक दिन जब दुनिया के सपनों मैं उसकी कोई जगह नहीं थी उसने अपने सपने सच करने की ठानी. और जो उसे तब करना चाहिए था जब उसके जैसे सपने देखने वाले साथ थे उसने तब शुरू करा जब उसके साथ कोई भी नहीं बचा.
लेकिन अब आप सोच रहें होंगे ये मैं क्या बकवास करे जा रहा हूँ एक बच्चों की फिल्म के बारे मैं. जी हाँ ये बकवास है अगर आपको लगता है की Calvin & Hobbes बच्चों के लिए है. सच तो ये है की ये फिल्म उनके लिए है जो कभी बच्चे थे. जिनका बचपना और सपने उनके साथ बडे हो गए. पर जब कभी वोह बचपना याद करते हैं उन्हें याद आता है वोह ट्रक ड्राईवर बनना चाहते थे. पर अगर कहानी इतनी ही होती तो मैं इतनी मेहनत नहीं कर रहा होता ये लिखने की. ये फिल्म ये भी बताती है की चाहे आपके सपने सच ना हों, अगर आप उनके साथ रहते हो जो आप के साथ आपके सपने देखते हैं तो ज़िन्दगी निकल जाती है. और किसी तरह कट गई ज़िन्दगी वाली नहीं छुट्टियाँ कहाँ गयीं पता ही नहीं चला वाली. और कई बार कुछ लोग आते हैं जो फिर से आपको अपने बचपन के सपने याद दिला देते हैं और कभी कभी उन्हें सच भी करवा देते हैं. और ये आपको तब समझ मैं आता है जब आप वोह कर चुके होतें हैं जो आप ज़िन्दगी भर करना चाहते थे. और जब आपके सपने सच हो जाते हैं तब आपकी समझ मैं आता है की कीमत सपनो की नहीं कीमत उनकी है जिनके साथ आप सपने देखते हो और जिनके साथ सपने सच होते हैं. वोह लोग अमूल्य हैं. सम्भाल के रखियेगा उन्हें.
तो आप ये जानने के लिए ये फिल्म देखें या फिर सिर्फ 3D के चश्मों का लुत्फ़ उठाने के लिए, आपके पैसे व्यर्थ नहीं जायेंगे.
आँखे खोले ना खोले कुछ जंग खाए सपनो पर से धुल ज़रूर छटा देगी ये फिल्म.
और अगर आप सोच रहें हैं ये सब हिंदी मैं क्यूँ लिखा गया है, वोह इसलिए क्यूंकि ट्रक ड्राईवर हिंदी मैं सपने लेते हैं.
Wednesday, September 30, 2009
ट्रक ड्राईवर सोबू सिंह
Posted by Forty6 at 11:27 AM
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